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भारत का भौतिक स्वरूप

 दोस्तों नमस्कार !

आज हम भारत के भौतिक स्वरूप के बारे में चर्चा करेंगे । दोस्तों भारत के संदर्भ में आपको कुछ जानकारी पहले से ही होगी । चलिए अब अपने ज्ञान को ओर बढ़ाते हैं 

स्थिति

ग्लोब पर भारत 8°4’ उत्तरी अक्षांश से 37°6’ उतरी अक्षांश तथा 68°7’ पूर्वी देशांतर से 97°25’ पूर्वी देशांतर के मध्य अवस्थित है । यह उत्तर से दक्षिण 3214 किलोमीटर तथा पूर्व से पश्चिम 2933 किलोमीटर लंबाई व चौड़ाई में विस्तृत है । भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263  वर्ग किलोमीटर है । इसकी स्थलीय सीमा 15,200 किलोमीटर एवं सागरीय तट रेखा की लंबाई 7516.6 किलोमीटर है, जिसमें द्वीप समूहों की सागर तटीय रेखा शामिल है ।

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भारत का दक्षिणतम भूमि बिंदु ' इंदिरा प्वाइंट' है जबकि मुख्य भूमि का दक्षिणतम बिंदु ' केप कोमोरिन (कन्याकुमारी)' है । भारत का सबसे उत्तरी भूमि बिंदु ‘इंदिरा कॉल' है । भारत की कुल भूमि का 29.3% भाग पर्वतीय, 27.7% भाग पठारी एवं 43% भाग मैदानी है ।

पड़ोसी देश तथा सीमाएं

भारत की उत्तरी सीमा का निर्धारण हिमालय पर्वत से होता है । हिमालय के उस पार चीन नेपालतिब्बत एवं भूटान स्थित है । भारत व चीन की सीमा रेखा ‘मैक मोहन रेखा’ कहलाती है । पूर्वी भाग में पहाड़ों की श्रृंखला से ही म्यांमार पृथक होता है । पूर्वी भाग में ही भारत की सीमा बांग्लादेश से संलग्न है जो पहले भारत का ही भाग था । इसी प्रकार पश्चिमी सीमा के साथ अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान सलंगन है । भारत व पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा ‘रेडक्लिफ रेखा' के नाम से जानी जाती है । दक्षिणी भारत के पश्चिम में अरब सागरपूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा सुदूर दक्षिण में हिन्द महासागर अवस्थित है । भारत को मन्नार की खाड़ी तथा पाक जलडमरूमध्य श्रीलंका से पृथक करते हैं । भारत के ‌ लक्षद्वीप अरब सागर तथा अण्डमान निकोबार द्वीपसमूह बंगाल की खाड़ी में स्थित हैं ।

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि भारत भौतिक विविधताओं वाला देश है । भारत की प्राकृतिक संरचना अर्थात भौतिक लक्षणों में विविधता के कारण इसे निम्न भू आकृतिक प्रदेशों में विभक्त किया जाता है 

1.      1.  उत्तर का पर्वतीय प्रदेश या हिमालय पर्वतीय प्रदेश

2.      2.  सिंधु -  गंगा – ब्रह्मपुत्र का मैदान

3.      3.   प्रायद्वीपीय पठार या दक्षिण का पठार

4.      4.   समुद्र तटीय मैदान तथा द्वीप समूह ।

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1. उत्तर का पर्वतीय प्रदेश या हिमालय पर्वतीय प्रदेश

इस प्रदेश में हिमालय की पर्वत श्रेणियां अवस्थित हैं जो लगभग 2400 किलोमीटर लंबाई में फैली हुई हैं । पश्चिम में कश्मीर से पूर्व  में असम तक इनका विस्तार है । इस प्रदेश में अनेक पर्वत शिखर है जिनमें गॉडविन आस्टिन (K-2), कंचनजंगानंगा पर्वत नन्दा देवी,  कामेत आदि प्रमुख हैं । इस प्रदेश की चौड़ाई 240 से 320 किलोमीटर तक है । यहीं से सिंधुगंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के उद्गम स्थल है । यह प्रदेश वन व वन्यजीव तथा पशुधन की दृष्टि से समृद्ध है ।

2. सिंधु – गंगा एवं ब्रह्मपुत्र का मैदान

यह उत्तरी पर्वतीय प्रदेश तथा दक्षिण के पठार के मध्य विस्तृत है । यह मैदान अर्द्धचंद्राकार रूप में पश्चिम में अरब सागर के समीप से पूर्व में बंगाल की खाड़ी तक फैला है । इसका निर्माण हिमालय से निकलने वाली नदियों तथा कुछ दक्षिण के पठार से उतर की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों की कांप मिट्टी से हुआ है । यहां मुख्य व्यवसाय कृषि है । यह मैदानी प्रदेश उपजाऊ व उत्तम जलवायु वाला हैअतः सघन जनसंख्या का प्रदेश भी है । यह लगभग 2400 किलोमीटर लंबा व 150 से 320 किलोमीटर चौड़ा है । इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 7.5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है ।

3. दक्षिण का पठार या प्रायद्वीपीय पठार

इस पठारी प्रदेश के उत्तर – पश्चिम में अरावली पर्वतपूर्व में राजमहल पहाड़ियांपश्चिम में गिर पहाड़ियां तथा दक्षिण में कार्डमम पहाड़ियां इसकी सीमाओं का निर्धारण करती है । यह विंध्याचल पर्वत से कन्याकुमारी तक फैला हुआ है । इसकी औसत ऊंचाई 600 से 900 मीटर है । उत्तर – पूर्व में शिलांग तथा कार्बी – एलांग पठार भी इसी भूखण्ड का भाग है । हजारीबागपलामू पठाररांची पठारमालवा पठार कोयम्बतूर पठार, कर्नाटक का पठार आदि सभी दक्षिण के पठार के ही भाग है । इसके पूर्व में महानदी गोदावरीकृष्णा कावेरी नदियां तथा पश्चिम  में नर्मदा तथा ताप्ती नदियां बहती हैं । यहां कृषिखनन तथा उधोग मुख्य व्यवसाय हैं ।

4. समुद्र तटीय मैदान तथा द्वीप समूह

इसके अंतर्गत पूर्वी तथा पश्चिमी घाट एवं द्वीपीय समूह आते हैं । प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी भाग में बंगाल की खाड़ी के तटीय मैदान के समानांतर महानदी की घाटी से दक्षिण में नीलगिरी तक दक्षिण – पूर्व दिशा में 800 किलोमीटर की लंबाई में कुमारी अन्तरीप तक 1600 किलोमीटर लंबाई में विस्तृत पर्वतीय क्षेत्र ‘पूर्वी घाट’ तथा पश्चिम में अरब सागर के समानांतर ताप्ती के मुहाने से दक्षिण में कुमारी अन्तरीप तक 1600 किलोमीटर लंबाई में फैले  पहाड़ी प्रदेश को ‘पश्चिमी घाट' कहा जाता है । यहां वर्षा अधिक होती है । इस क्षेत्र में कृषि के अतिरिक्त मछली पकड़ने का कार्य मुख्य है ।

इसके अतिरिक्त अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में क्रमशः लक्षद्वीप तथा अण्डमान निकोबार द्वीपसमूह सहित 247 द्वीप है । जिनमें से अधिकांशतः निर्जन हैं ।

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