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अफ्रीका (भाग - 2)

दोस्तों नमस्कार ! आपने अफ्रीका ( भाग – 1)  में अफ्रीका महाद्वीप के बारे में कुछ जानकारियां पढ़ी । आज हम कुछ और रोचक तथ्य एवं जानकारियों के साथ ‘अफ्रीका (भाग – 2) लेकर उपस्थित है । आइये चर्चा करते हैं -

बोधशंख Bodhshankh                                                                                                                                     

झील 

अफ्रीका महाद्वीप में अनेक झीलें अवस्थित है परंतु कुछ अपनी अवस्थिति एवं सौंदर्य के कारण प्रसिद्ध है। विश्व के सबसे बड़े मरूस्थल में अवस्थित ‘चाड’ झील अपनी अवस्थिति के कारण प्रसिद्ध है । इसी प्रकार ‘विक्टोरिया झील’ नील नदी का उद्गम स्थल है एवं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है ।

तांगान्यीका झील  महान अफ़्रीकी झीलों में से एक है। यह विश्व की सबसे लम्बी झील भी है। इसका क्षेत्रफल चार देशों में बंटा हुआ है - तन्ज़ानिया, कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य, बुरुन्डी और ज़ाम्बिया।एडवर्डकीवू, मालावी एवं तुर्काना अन्य प्रमुख झीलें हैं ।

वन एवं वन्य जीव

प्राकृतिक वनस्पति हमेशा जलवायु पर निर्भर करती है अफ्रीका की जलवायु में विभिन्नता के कारण वनस्पति में भी विभिन्नता पाई जाती है । भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में भीषण गर्मी एवं नियमित वर्षा के कारण सघन वनस्पति पाई जाती है ।  सूर्य का प्रकाश भी धरातल तक नहीं पहुंच पाता है । वर्ष भर वर्षा के कारण यह वृक्ष सदाबहार रहते  हैं । यहां महोगनी, रबड़, ताड़, , आबनूस, गट्टापार्चाबांससिनकोनातथा रोजवुड प्रमुखता से पाते जाने वाले वृक्ष है । इन वनों में बंदर, हाथी, दरियाई घोड़ा, चिम्पांजी, गोरिल्ला चीता, भैंसा सांप अजगर आदि जंगली जानवर पाए जाते हैं ।

बोधशंख Bodhshankh


भूमध्य रेखीय क्षेत्र के दोनों और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कम वर्षा होती है । अतः यहां 2 से 4 मीटर लंबी घास के मैदान पाए जाते हैं इन्हें सवाना घास मैदान कहा जाता है । इनमें विभिन्न घास खाने वाले जानवर निवास करते हैं जैसे – हिरण, , बारहसिंघा, जेब्रा, जिराफ एवं हाथी । इनका शिकार करने वाले पशु शेर, चीता, गीदड़ आदि भी पाए जाते हैं । इन घास मैदानों की जलवायु अत्यंत गर्म एवं शुष्क है । अतः मरुस्थलीय वनस्पति पाई जाती है । मरू उद्यानों में खजूर के पेड़ पाए जाते हैं । यहां मुख्यतः ऊंट पाया जाता है जिसे रेगीस्तान का जहाज़ कहते हैं । शुतुरमुर्ग यहां का मुख्य पक्षी है । अफ्रीका के उत्तरी एवं दक्षिणी पश्चिमी तटीय प्रदेशों में केवल जाड़े में ही वर्षा होती है । फिर भी यहां चौड़ी पत्ती वाले सदाबहार वन पाए जाते हैं । इस क्षेत्र की जलवायु फलों की खेती के लिए उपयुक्त है । निंबू संतरा अंगूर सेब अंजीर आदि रस वाले फलों के लिए यहां की जलवायु अति उत्तम है । यहां जंगली पशु नगण्य है । अधिकतर पालतू पशु पाए जाते है  । अफ्रीका के दक्षिणी पूर्वी भागों में भी वर्षा की कमी के कारण शुष्क घास के मैदान पाए जाते हैं यहां उगने वाली घास छोटी-छोटी व मुलायम गुच्छेदार होती है, इन घास के मैदानों को 'वेल्ड' कहा जाता है ।

खनिज सम्पदा

प्राचीन गोंडवानालैंड का भाग होने के कारण अफ्रीका महाद्वीप बहुमूल्य खनिज सम्पदा में धनी है । सोना, हीरा व प्लेटिनम में प्रथम स्थान पर है । इसके अतिरिक्त अफ्रीका महाद्वीप के विभिन्न  देशों में अनेक प्रकार के खनिज सम्पदा के भंडार है । गिनी देश बॉक्साइट के उत्पादन में विश्व में द्वितीय स्थान पर है । इसी प्रकार मोरक्को फास्फेट उत्पादन में संयुक्त राज्य अमेरिका तथा रूस के पश्चात विश्व में तृतीय स्थान पर है । दक्षिण अफ्रीका में जोहांसबर्ग शहर के निकट सोने का उत्पादन होता है । अतः जोहांसबर्ग को ‘स्वर्ण नगर' भी कहा जाता है । दक्षिण अफ्रीका का ही कारो पठार हीरे के उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है । यहां ‘किम्बरले'  विश्व की सबसे बड़ी  हीरे की खान है । किम्बरले शहर को ‘हीरों का नगर' कहा जाता है ।

विविध

-          सोमालिया, साओटॉमरिपब्लिक ऑफ कांगो, युगांडाकेन्या एवं गेबोन कुल सात देशों से होकर विषुवत रेखा गुजरती है ।

-          अफ्रीका का ट्रांसवाल क्षेत्र विश्व का सबसे बड़ा स्थली प्राणी हाथी एवं सबसे लम्बे जानवर जिराफ तथा जेब्रा के लिए विश्व विख्यात हैं ।

-          अफ्रीका महाद्वीप का ‘केप – काहिरा’ रेलमार्ग सबसे लंबा रेलमार्ग है । जो दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन को मिश्र के काहिरा को जोड़ता है ।

-          तंजानिया के पूर्व में अवस्थित द्वीप पेम्बा और जंजीबार लोंग एवं इलायची के सर्वाधिक उत्पादन के कारण प्रसिद्ध है ।

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