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तटीय मैदान व द्वीप

भारत के मुख्य 9 राज्यों की समुद्री तटरेखा सीमा बनाती है । इन सीमातटों के निकट उपजाऊ मैदानों का विस्तार है । इन मैदानों को भारत की भू - आकृति के अनुसार दो भागों में विभक्त करते हैं - पश्चिमी तटीय मैदान तथा पूर्वी तटीय मैदान ।

तटीय मैदान


भारत की तट रेखा की कुल लंबाई लगभग 7516.5 किलोमीटर है । जिसमें द्वीपीय भागों की लंबाई शामिल है । भारत की मुख्य भूमि के तटीय भाग की लंबाई लगभग 6100 किलोमीटर है । आइये आज चर्चा करते हैं भारत के तटीय मैदानों एवं द्वीपों के बारे में -

पश्चिमी तटीय मैदान 

पश्चिमी घाट एवं अरब सागर के मध्य एक संकरी पट्टी के रूप में गुजरात से केरल तक पश्चिमी तटीय मैदान अवस्थित हैं । इन मैदानों की औसत चौड़ाई 65 किलोमीटर तक है, परन्तु नर्मदा तथा ताप्ती नदियों के मुहानों के निकट मैदानों की चौड़ाई 80 किलोमीटर तक है । इसकेे उत्तरी भाग में दो खाड़ियां है - खम्भात की खाड़ी तथा कच्छ की खाड़ी । गुजरात के निकट तटीय भाग 'सौराष्ट्र तट' कहलाता है । सौराष्ट्र के दक्षिणी भाग का तट जिसमें महाराष्ट्र का तटीय भाग शामिल है 'कोंकण तट' कहलाता है । दक्षिणी तट जिसमें केरल एवं कर्नाटक का तट शामिल है 'मालाबार तट' कहलाता है । इस मैदानी क्षेत्र का ढाल पूर्व से पश्चिम की ओर है जिसके कारण तटीय मैदानों में प्रवाहित नदियां  छोटी तथा तीव्रगामी है । अधिकांश नदियों का उद्गम पश्चिमी घाट से होता है । इन मैदानों में प्रवाहित होने वाली नदियां ज्वारनदमुख बनातीं है । मालाबार तटीय भाग में कई  अनूप ( Lagoons ) पाए जाते हैं । जिनमें नाव व स्टीमर चलाये जातें हैं । जिनमें मछली पकड़ने का कार्य किया जाता है । मालाबार तट अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है । भारत की मुख्य भूमि पर 'मानसून' का आगमन यहीं से होता है । अतः यहां सदाबहार वनस्पति पाई जाती है । इस मैदानी क्षेत्र की जलवायु सम व आर्द्र है तथा  मिट्टी उपजाऊ, जिसके कारण चावल उत्पादन के लिए आदर्श क्षेत्र है । समुद्री तट अत्यधिक कटा-फटा होने  के कारण बंदरगाहों की संख्या अधिक है । इस तटीय मैदान का उत्तरी भाग चावल, कपास, गन्ना व गेंहू के उत्पादन के लिए आदर्श है वहीं दक्षिणी भाग रबर, कहवा, नारियल एवं गर्म मसाले के उत्पादन हेतु आदर्श है । इस तटीय भाग में जनसंख्या अधिक है ।

भारत के तटीय क्षेत्र


पूर्वी तटीय मैदान 

यह तटीय मैदान पश्चिमी बंगाल, उड़िसा, आंध्रप्रदेश एवं तमिलनाडु राज्यों की बंगाल की खाड़ी से लगने वाली सीमाओं पर स्थित है । यह मैदानी क्षेत्र बंगाल की खाड़ी तथा पूर्वी घाट के मध्य एक संकरी पट्टी के रूप में है । यह मैदान पश्चिमी तटीय मैदान की अपेक्षा अधिक चौड़ाई वाला है । इस मैदान की औसत चौड़ाई 100 से 300 किलोमीटर है । इस मैदानी क्षेत्र को सामान्यतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है - निचला भाग, जिसमें नदियों के डेल्टा है । ऊपरी भाग, जिसमें मुख्यतया नदियों के ऊपरी भाग हैं । निचला भाग पूर्णतः कांप युक्त उपजाऊ मृदा से निर्मित है । तट सपाट होने के कारण समुद्र के निकट बालू मिट्टी की लंबी श्रृंखला पाईं जाती है । जो लहरों द्वारा मैदान भाग में बन गयी हैं । इस प्रकार के रेतीले जमावों से चिल्का तथा पुलीकट छिछली अनूप (लैगून) का निर्माण हुआ है । ऊपरी भाग में  डेल्टा एवं बड़ी व चौड़ी नदियों की घाटियों के सहारे आंतरिक भाग की ओर 400 से 500 किलोमीटर तक समतल मैदान देखे जा सकते हैं । मैदान के अधिकतर भागों में नदियों की उपजाऊ मिट्टी का प्रसार है, जबकि कुछ स्थानों पर प्राचीन शैलें स्पष्ट दिखलाई पड़ती हैं । इस तट के उत्तरी भाग को उत्तरी सरकार तट या गोलकुंडा, मध्यवर्ती तट को काकीनाडा का तट तथा दक्षिणी भाग को कोरोमण्डल तट कहा जाता है ।‌‌‌‌‌‌‌‌

भारत के द्वीप

भारत के पास सभी छोटे बड़े कुल 1208 द्वीप हैं । अंडमान निकोबार द्वीप समूह सबसे बड़ा द्वीप समूह है । सबसे छोटा द्वीप समूह लक्ष्यद्वीप समूह है । भारत के प्रमुख द्वीपीय भाग निम्नानुसार हैं 

बंगाल की खाड़ी के द्वीप

बंगाल की खाड़ी में सबसे बड़ा द्वीप समूह अंडमान निकोबार द्वीप समूह है जिसमें छोटे-बड़े सभी द्वीप 572 है । माना जाता है कि इस समूह के अधिकांश द्वीप जलमग्न द्वीपों के भाग हैं, जबकि कुछ द्वीप ज्वालामुखी क्रिया से हुई है । 10° उत्तरी अक्षांशजिसे 10° चैनल भी कहा जाता है अंडमान द्वीप समूह को निकोबार द्वीप समूह से अलग करता है । उत्तरी अंडमान में स्थित ‘सैडल चोटी (738 मीटर)' यहां की सर्वोच्च चोटी है । अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी ‘पॉर्ट ब्लेयर' है । जो दक्षिणी अंडमान द्वीप पर है । यहीं प्रसिद्ध ‘सेल्यूलर जेल’ है । मध्य अंडमान द्वीप के पूर्व में ‘बैरन द्वीप' अवस्थित है जो भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है । उत्तरी अंडमान के पूर्व में ‘नारकोंडम’ एक सुषुप्त ज्वालामुखी है ।

निकोबार द्वीप समूह भौगोलिक दृष्टि से इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के निकट अवस्थित हैं । भारत का दक्षिणतम बिंदु ‘इंदिरा पॉइंट’ ग्रेट निकोबार के दक्षिण में अवस्थित है, यह 26 दिसम्बर 2004 में भीषण सुनामी त्रासदी में जलमग्न हो गया है । इंदिरा पॉइंट को ही ‘पिगमेलियन ॰पॉइंट’ कहा जाता है । निकोबार द्वीप समूह में ‘जारवा’ तथा ‘शोम्पेन’ जनजातियां आज भी अपने आदिम स्वरूप में जीवन यापन करते हैं ।

अरब सागर के द्वीप

                                          लक्षद्वीप


लक्षद्वीप समूह अरब सागर में प्रवाल भितियों से निर्मित एक द्वीपों का समूह है । जिसमें कुल 36 द्वीप हैंइनमें से केवल 10 द्वीप ही आबाद हैं । मिनिकॉय इनमें से सबसे बड़ा द्वीप है । ‘कवारती' लक्षद्वीप की राजधानी है । 8° चैनल मिनिकॉय द्वीप को मालदीव से अलग करता है । जबकि 9° चैनल मिनिकॉय को लक्षद्वीप के अन्य द्वीपों से अलग करता है ।

अन्य प्रमुख द्वीप

1.      1. न्यू मूर द्वीप – यह द्वीप बंगाल की खाड़ी में भारत एवं बांग्लादेश की सीमा पर अवस्थित है । दोनों देशों के मध्य इसके अधिकार को लेकर विवाद हुआ । बाद में इस द्वीप को दो भागों में बांट दिया गया । भारत का अधिकार क्षेत्र अधिकांशतः जलमग्न है ।

2.      2. अब्दुल कलाम द्वीप  यह द्वीप उड़िसा तट के निकट भुवनेश्वर से लगभग 150 किलोमीटर दूरी पर अवस्थित है । इस द्वीप का पुराना नाम व्हीलर द्वीप था । इस द्वीप का उपयोग प्रक्षेपास्त्र परीक्षण हेतु किया जाता है ।

3.     3. श्रीहरिकोटा द्वीप  यह तमिलनाडु व आंध्रप्रदेश की सीमा पर पुलिकट झील के ठीक बाद अवस्थित है । इस पर भारत का एकमात्र उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र ‘सतीसधवन अंतरिक्ष केन्द्र' है ।

4.     4. पाम्बन द्वीप  मन्नार की खाड़ी में स्थित इस द्वीप को रामसेतु का एक भाग माना जाता है । यह भारत व श्रीलंका के मध्य अवस्थित है । इसे ‘आदम ब्रिज' भी कहते हैं । रामेश्वरम् इसी द्वीप पर स्थित है ।

5.     5. माजुली द्वीप  यह दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप है । यह असम राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य सघन जनसंख्या वाला द्वीप है । इसे वहां की सरकार ने अलग जिला बनाया है । इस प्रकार माजुली देश पहला ‘द्वीपीय जिला' बन गया है ।


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