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मैकिण्डर का हृदय स्थल

दोस्तों नमस्कार !

भू - राजनीति के क्षेत्र में 'हृदय स्थल सिद्धांत' एवं 'रिमलैण्ड का सिद्धांत' बहुत ही महत्वपूर्ण हैं । चलिए आज हम हृदय स्थल सिद्धांत के बारे में चर्चा करते हैं -
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हृदय स्थल सिद्धांत का प्रतिपादन हेल्फोर्ड जॉन मैकिण्डर नामक ब्रिटिश विद्वान ने 1919 ई. में किया था ।
मैकिण्डर 'हृदय स्थल सिद्धांत' से संबंधित विचार सर्वप्रथम 25 जनवरी, 1904 को 'रॉयल ज्योग्राफिकल सोसायटी' के समक्ष एक शोध पत्र द्वारा प्रस्तुत किये थे । इस शोध पत्र का शीर्षक "इतिहास की भौगोलिक धुरी" था । लेकिन वास्तविक रूप से मैकिण्डर द्वारा इस सिद्धांत को सन् 1919 ई. में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "डेमोक्रेटिक आइडील्स एंड रियलिटी" (लोकतांत्रिक आदर्श एवं यथार्थ) के द्वारा प्रस्तुत किया ।
सन् 1904 ई. मेंं अपने शोध पत्र में उन्होंने उत्तर में धुव्रीय क्षेत्र, पूर्व में अलास्का, दक्षिण में हिमालय आदि के मध्यवर्ती क्षेत्र को 'धुरी क्षेत्र' की संज्ञा दी । इस धुरी क्षेत्र के पश्चिम, दक्षिण एवं पूर्वी क्षेत्र को आन्तरिक अर्द्धचंद्राकार तथा बाह्य अर्द्धचंद्राकार प्रदेश कहा है; इन दोनों के बाहरी भाग में विश्व के द्वीपीय भाग हैं, जिनमें ब्रिटेन, उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया एवं जापान आदि प्रमुख हैं । ये सभी द्वीपीय भाग समुद्र द्वारा पृथक होते हैं तथा समुद्री मार्ग द्वारा जुड़े हुए हैं । इन सभी में 'धुरी प्रदेश' सबसे सुरक्षित है क्योंकि इसके तीन ओर से आक्रमण नहीं किया जा सकता, जबकि एक ओर का खुला भाग धुरी क्षेत्र का मुख्य द्वार है ।
मैकिण्डर के उपरोक्त विचार उस समय के है जब विश्व में रेलमार्गों का विकास सीमित था तथा हवाई परिवहन का विकास नहीं हुआ था । यातायात के साधनों में प्रमुखत: बेलगाड़ी, घोड़ा एवं ऊंट ही थे । तात्कालिक समय में ब्रिटेन विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र था क्योंकि उनकी नौसेना मजबूत स्थिति में थी । 
सन् 1919 में मैकिण्डर ने अपनी पुस्तक में इन्ही विचारों  को कुछ संशोधन कर सिद्धांत रूप में रखा । उन्होंने हृदय स्थल सिद्धांत को निम्न कथनों के साथ प्रस्तुत किया है -
''जो पूर्वी यूरोप पर शासन करता है, 'हृदय क्षेत्र' को नियंत्रित करता है ।''
"जो हृदय क्षेत्र पर शासन करता है, वह विश्व द्वीप पर नियंत्रण रखता है ।"
"जो विश्व द्वीप पर शासन करता है, वह विश्व पर नियंत्रण रखता है ।"
उपरोक्त विचार ब्रिटेन के मित्र राष्ट्रों को एक प्रकार से मार्गदर्शन था कि वे यूरोप में किसी भी देश को हृदय स्थल पर अपना आधिपत्य स्थापित होने की स्थिति तक विकसित न होने दें । मैकिण्डर का स्पष्ट संकेत जर्मनी की ओर था । क्योंकि जर्मनी ने हृदय स्थल के ही क्षेत्र रूस पर सन् 1917 ई. में आक्रमण कर दिया था । 
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मैकिण्डर ने यूरोप, एशिया एवं अफ्रीका को विश्व द्वीप माना । विश्व का 9/12 भाग जल एवं 3/12 भाग स्थल है । विश्व द्वीप के 2/12 भाग को व दोनों अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा अन्य छोटे - बड़े द्वीप शेष 1/12 भाग को घेरे हुए है । स्थल खण्ड की दृष्टि से विश्व द्वीप में एकता है । विश्व द्वीप में विश्व की 14/16 जनसंख्या निवास करती हैं । अन्य  1/16 जनसंख्या दोनों अमेरिका व आस्ट्रेलिया में तथा शेष 1/16 जनसंख्या समुद्रस्थ अन्य द्वीपों में निवास करती हैं । मैकिण्डर ने  हृदय स्थल के चारों ओर चन्द्राकार पेटी में ईरान, अफगानिस्तान, मध्य पूर्व के देश एवं मंगोलिया को अविकसित देश बताया तथा चन्द्राकार पेटी में ब्रिटेन, फ्रांस, जापान तथा अमेरिका जैसी नौसैनिक शक्तियां बताई । 
प्रारम्भिक  अवस्था में उन्होंने हृदय स्थल के अंतर्गत ईरान की अधिकांश उच्च भूमि, अफगानिस्तान, पश्चिमी चीन, साइबेरिया तथा मंगोलिया माना किंतु बाद में इसमें पूर्वी यूरोप को भी सम्मिलित कर लिया । इस प्रकार इसका विस्तार पूर्वी यूरोप में एल्ब नदी तक कर दिया गया । 1904 ई. में धुरी क्षेत्र सिद्धांत में कैस्पियन सागर से श्वेत सागर तक खींची जाने वाली रेखा को सीमा स्वीकार किया गया था । परन्तु 1919 ई. में ह्रदय स्थल में बाल्टिक सागर, मध्य व निम्न नाव्य डेन्यूब, काला सागर, एशिया माइनर, आर्मीनिया, पर्सिया, तिब्बत व मंगोलिया को सम्मिलित कर लिया गया । अनातोलिया के पठार , पिण्डस पर्वत, दिनारिक आल्प्स, मध्य डेन्यूब, मध्य जर्मनी, डेनमार्क व स्केण्डेनेवियाई प्रायद्वीप से होकर गुजरने वाली रेखा  से परिवृत्त क्षेत्र में सीमा पश्चिमी क्षेत्र को स्थानांतरित कर दी गई । मैकिण्डर के इस सिद्धांत में हृदय स्थल घेरे हुए पश्चिम, दक्षिण व पूर्व में जल-स्थल राज्यों की एक आंतरिक तटीय सीमान्त पट्टी है ।
मैकिण्डर ने अपने हृदय स्थल सिद्धांत की सीमा में परिवर्तन किया, किन्तु उन्होंने बड़ी दृढ़ता से यह मत व्यक्त किया कि जो हृदय स्थल पर शासन करेगा, वह विश्व द्वीप को नियंत्रित करेगा और अंततः विश्व पर शासन करने में सफल होगा ।

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