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मानव भूगोल

                  

नमस्कार दोस्तों, चलिये आज जानतें हैं मानव भूगोल क्या है ? मानव भूगोल की परिभाषा क्या है......... ?

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                         भौतिक भूगोल  भौतिक पर्यावरण  का अध्ययन  करता है और मानव भूगोल “भौतिक, प्राकृतिक एवं मानवीय जगत के बीच संबंध, मानवीय परिघटनाओं का स्थानिक वितरण तथा उनके घटित होने के कारण एवं विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन करता है ।’’ यह आप जानते ही होंगें कि ‘एक विषय के रूप में भूगोल पृथ्वी को मानव का घर तथा उन सभी तत्वों का अध्ययन व व्याख्या करने वाला माना जाता है जिन्होंने मानव को पोषित किया है । इस प्रकार भूगोल विषय में प्रकृति एवं मानव के अध्ययन पर बल दिया गया है ।

                     यहीं से भूगोल में द्वैतवाद कि शुरुवात हुई । विद्वानों के मध्य व्यापक तर्क-वितर्क शुरू हुए कि भूगोल की विषय-वस्तु किस प्रकार की होगी । क्या भूगोल की विषय-वस्तु सैद्धांतिक हो या विवरणात्मक हो ? भूगोल का अध्ययन क्रमबद्ध उपागम से हो या प्रादेशिक उपागम से हो ? क्या भौगोलिक परिघटनाओं का अध्ययन सिद्धांतों के आधार पर होना चाहिए या परम्परागत ऐतिहासिक-संस्थागत उपागम के आधार पर ? इस प्रकार भिन्न-भिन्न विद्वानों के भिन्न-भिन्न मतों से द्वैतवाद उत्पन्न हुआ। परन्तु वास्तव में ये सभी बौद्धिक अभ्यास के मुद्दे हैं प्रकृति तथा मानव के बीच किसी भी प्रकार की द्वैधता नहीं है बल्कि प्रकृति और मानव अविभाजित तत्व हैं, इन्हें समग्र रूप में समझना चाहिए ।

                    भूगोल के विद्यार्थी को यह समझना अति-आवश्यक है कि भूगोल में भौतिक एवं मानवीय दोनों प्रकार की परिघटनाओं की व्याख्या व वर्णन ‘मानव शरीर रचना विज्ञान’ के प्रतीकों को प्रयोग में लेते हुए रूपकों के रूप में किया जाता है। उदाहरणार्थ – सामान्यत: पृथ्वी को ‘रूप’, तूफ़ान का केंद्र ‘आँख’, नदी का ‘मुख’, हिमनदी का ‘प्रोथ’ अर्थात् ‘नासिका’, मृदा की ‘परिच्छेदिका’, जलडमरूमध्य की ‘ग्रीवा’ आदि । जर्मन भूगोलवेत्ताओं ने राज्य व देश को ‘जीवित जीव’, सड़कों, रेलमार्गों और जलमार्गों  के जाल को ‘परिसंचरण की धमनियों’ के रूप में  वर्णित किया है। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि इस विषय में प्रकृति तथा मानव अति-जटिलता के साथ अंतर्संबंधित हैं।

मानव भूगोल की परिभाषाएँ

मानव भूगोल के जनक फ्रेडरिक रैटजेल के अनुसार “मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच संबंधों का संश्लेषित अध्ययन है।’’ (रैटजेल महोदय ने संश्लेषण पर अधिक बल दिया है।)

कुमारी एलन चर्चिल सैंपल के अनुसार “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील (गत्यात्मक) संबंधों का अध्ययन है।” (सैंपल ने अपनी परिभाषा में संबंधों की गत्यात्मकता पर अधिक जोर दिया है।)

फ्रांसीसी विद्वान पॉल विडाल-डी-ला ब्लाश के अनुसार “हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य संबंधो के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना। (ब्लाश महोदय ने मानव भूगोल को पृथ्वी और मनुष्य के अंतर्सबंधों की एक नयी संकल्पना बतायी है।)

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