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निश्चयवादी विचारधारा

नमस्ते दोस्तों ! कैसे हैं आप, अच्छे ही होंगें । चलो आज चर्चा करतें है निश्चयावादी विचारधारा के बारे में । निश्चयवाद की विचारधारा का जन्म एवं विकास कैसे हुआ ।

Determinism


मानव भूगोल में निश्चयवाद (Determinism) एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो यह मानता है कि मानव क्रियाएं और सांस्कृतिक विकास पूरी तरह से भौगोलिक स्थितियों और पर्यावरणीय कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं। निश्चयवाद का जन्म और विकास कई प्रमुख विचारकों और उनकी रचनाओं के माध्यम से हुआ, जिनकी प्रमुख चर्चा नीचे की गई है:

1. आर्काइटल्स और प्लिनी का समय

आर्काइटल्स (Aristotle) प्राचीन ग्रीक दार्शनिक अरस्तू ने अपने कामों में यह विचार व्यक्त किया कि भौगोलिक स्थान और जलवायु मानव समाज और उनकी संस्कृति को प्रभावित करते हैं। उन्होंने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर विभिन्न संस्कृतियों और सामाजिक संरचनाओं की व्याख्या की।

प्लिनी (Pliny the Elder) उन्होंने भी भौगोलिक और जलवायु कारकों को मानव जीवन पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख तत्व के रूप में देखा।

2. मध्यकालीन विचारक

इस काल में भौगोलिक निश्चयवाद का विचार कम प्रमुख था। हालांकि, कुछ विचारक जैसे कि अब्द अल-रहमान अल-नासिरी ने भौगोलिक कारकों को समाज की विशेषताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया।

3. 18वीं और 19वीं सदी के विचारक

जेव्स (Georges-Louis Leclerc, Comte de Buffon) Buffon ने भौगोलिक वातावरण के प्रभाव को लेकर विचार किए, लेकिन उन्होंने भी इस विचार की सीमाओं को स्वीकार किया।

काण्ट (Immanuel Kant) उन्होंने भौगोलिक और सांस्कृतिक कारकों के बीच संबंध पर विचार किया, लेकिन उनके विचार अधिकतर नीतिक दार्शनिकता के हिस्से के रूप में थे।

4. 20वीं सदी में निश्चयवाद

फ्रेडरिक रेट्ज़ेल (Friedrich Ratzel) रेट्ज़ेल को भौगोलिक निश्चयवाद के सबसे प्रमुख समर्थकों में से एक माना जाता है। उन्होंने यह सुझाव दिया कि मानव समाजों का विकास और उनके सांस्कृतिक गुण भौगोलिक पर्यावरण द्वारा पूरी तरह से निर्धारित होते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक "आर्ट्स ऑफ ह्यूमन्स" में यह विचार प्रस्तुत किया।

फ्रेडरिक रेट्ज़ेल (Friedrich Ratzel) का भौगोलिक निश्चयवाद पर दृष्टिकोण महत्वपूर्ण और व्यापक था। उनका विचार भौगोलिक तत्वों और मानव समाजों के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है। रेट्ज़ेल ने अपने काम में इस सिद्धांत को "जियोपोलिटिकल थ्योरी" (Geopolitical Theory) के रूप में प्रस्तुत किया। आइए विस्तार से समझते हैं उनके मत को:

**परिचय और विचारधारा**

फ्रेडरिक रेट्ज़ेल (1844-1904) एक प्रमुख जर्मन भूगोलवेत्ता थे जिन्होंने भौगोलिक निश्चयवाद (Geographical Determinism) को विकसित किया और इसे एक महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने मानवीय समाजों और उनके सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास को भौगोलिक कारकों द्वारा प्रभावित और निर्धारित माना।

**भौगोलिक तत्वों का प्रभाव**

रेट्ज़ेल का कहना था कि भौगोलिक कारक जैसे कि जलवायु, स्थलाकृति, और प्राकृतिक संसाधन मानव समाजों के विकास को गहराई से प्रभावित करते हैं। उनके अनुसार, ये कारक मानव गतिविधियों, सामाजिक संरचनाओं और सांस्कृतिक विशेषताओं को निर्धारित करते हैं।

उदाहरण के लिए, उन्होंने सुझाव दिया कि गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में लोग सक्रिय और आक्रामक हो सकते हैं, जबकि ठंडे क्षेत्रों में लोग अधिक संवेदनशील और संकोचशील हो सकते हैं।

**भौगोलिक क्षेत्रीयता**

रेट्ज़ेल ने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों को सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की विशिष्टता के लिए जिम्मेदार ठहराया। उनका मानना था कि एक क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियों के आधार पर वहां के लोगों की सामाजिक और राजनीतिक संरचनाएँ भी भिन्न होती हैं।

**संविधान और सामाजिक विकास**

रेट्ज़ेल ने यह भी सुझाव दिया कि एक समाज की राजनीतिक और सामाजिक संरचनाएं उसके भौगोलिक वातावरण से प्रभावित होती हैं। उन्होंने इसे "भौगोलिक विकास" (Geographic Evolution) के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कहा कि एक समाज का विकास उसके भौगोलिक स्थान के अनुसार होता है।

**भौगोलिक जीवविज्ञान (Organic Geography)**

रेट्ज़ेल ने अपने सिद्धांत को "जैविक भूगोल" (Organic Geography) के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने मानवीय समाजों की तुलना जीवित अंगों से की। उनके अनुसार, समाज और उनके भौगोलिक पर्यावरण के बीच एक परस्पर संबंध होता है, जैसे एक जीवित अंग और उसका शरीर।

**प्रभाव और आलोचना**

रेट्ज़ेल के विचारों ने न केवल भूगोल बल्कि राजनीति और समाजशास्त्र पर भी प्रभाव डाला। उनके सिद्धांत ने "जियोपोलिटिक्स" (Geopolitics) को भी जन्म दिया, जो राष्ट्रीय शक्ति और भौगोलिक स्थिति के बीच संबंध को समझने का प्रयास करता है।

हालांकि, रेट्ज़ेल की निश्चयवादी दृष्टिकोण की आलोचना भी की गई है। आलोचकों ने तर्क किया कि उनका दृष्टिकोण अत्यधिक निश्चयात्मक था और इसमें मानव एजेंसी, सांस्कृतिक विविधता, और ऐतिहासिक परिवर्तनों को उचित रूप से नहीं माना गया।

रेट्ज़ेल का भौगोलिक निश्चयवाद मानव भूगोल के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने भौगोलिक और सांस्कृतिक तत्वों के बीच गहरे संबंध को उजागर किया। उनकी थ्योरी ने भूगोल के साथ-साथ अन्य सामाजिक विज्ञानों में भी व्यापक प्रभाव डाला।

अमेरिकन विद्वान सैम्पल (Ellen Churchill Semple) ने भौगोलिक निश्चयवाद (Geographical Determinism) के सिद्धांत को महत्वपूर्ण रूप से विकसित किया और इसे आधुनिक भूगोल में प्रमुख स्थान दिलाया। ये रेटजेल महोदय की शिष्या थीं । उनका काम विशेष रूप से भौगोलिक और मानव समाज के बीच संबंधों को समझने में महत्वपूर्ण था। आइए विस्तार से समझते हैं सैम्पल का मत:

**परिचय और पृष्ठभूमि**

एलेन चर्चिल सैम्पल (1860-1932) एक प्रमुख अमेरिकी भूगोलवेत्ता थीं जिन्होंने भौगोलिक निश्चयवाद पर महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने अपने काम के माध्यम से भौगोलिक कारकों के मानव समाज पर प्रभाव को समझाने का प्रयास किया और इसे एक व्यवस्थित सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया।

**भौगोलिक निश्चयवाद का परिभाषा**

सैम्पल ने भौगोलिक निश्चयवाद को ऐसे सिद्धांत के रूप में परिभाषित किया, जिसमें यह माना जाता है कि भौगोलिक तत्व, जैसे कि जलवायु, स्थलाकृति, और प्राकृतिक संसाधन, मानव समाजों के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। उनके अनुसार, इन भौगोलिक कारकों द्वारा मानव जीवन और संस्कृति को निर्धारित किया जाता है।

**सैम्पल की प्रमुख अवधारणाएँ**

भौगोलिक प्रभाव

सैम्पल ने यह तर्क किया कि भौगोलिक तत्व सीधे तौर पर समाजों की विशेषताओं को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, एक क्षेत्र की जलवायु और स्थलाकृति लोगों की जीवनशैली, सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक विशेषताओं को आकार देती है।

भौगोलिक विशिष्टताएँ

उन्होंने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों की विशिष्टताओं को समझने का प्रयास किया और यह देखा कि कैसे भौगोलिक स्थितियाँ अलग-अलग संस्कृतियों और समाजों को प्रभावित करती हैं।

**सैम्पल का सिद्धांत**

भौगोलिक और सांस्कृतिक संबंध

सैम्पल ने यह सुझाव दिया कि भौगोलिक तत्व सांस्कृतिक विकास को प्रभावित करते हैं और इसलिए सांस्कृतिक विशेषताएँ और सामाजिक संरचनाएँ भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार विकसित होती हैं।

भौगोलिक परिवर्तनीयता

सैम्पल ने स्वीकार किया कि भौगोलिक कारक स्थिर नहीं होते, और समय के साथ बदल सकते हैं, लेकिन उन्होंने यह भी माना कि इन परिवर्तनों का मानव समाजों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

**प्रभाव और आलोचना**

प्रभाव

सैम्पल के विचारों ने अमेरिकी भूगोल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्होंने भौगोलिक तत्वों को मानव समाज के अध्ययन में प्रमुख स्थान दिया। उनके काम ने भूगोल में एक व्यवस्थित और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया।

आलोचना

सैम्पल के निश्चयवादी दृष्टिकोण की आलोचना भी की गई है। आलोचकों ने यह तर्क किया कि उनका दृष्टिकोण अत्यधिक भौगोलिक और यथार्थवादी था और इसमें मानव एजेंसी, सांस्कृतिक विविधता, और ऐतिहासिक परिवर्तनों को पूरी तरह से नहीं माना गया। उनके सिद्धांत ने सामाजिक और सांस्कृतिक तत्वों को भौगोलिक कारकों से अलग करके नहीं देखा।

**महत्व और योगदान**

सैम्पल का काम भौगोलिक निश्चयवाद को एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के रूप में प्रस्तुत करता है। उनकी अवधारणाएँ और सिद्धांत आज भी भूगोल और सामाजिक विज्ञानों में महत्वपूर्ण संदर्भ के रूप में देखे जाते हैं। सैम्पल का मत भौगोलिक निश्चयवाद को एक व्यावहारिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करता है, जो मानव समाजों और उनके भौगोलिक वातावरण के बीच गहरे संबंधों को उजागर करता है। उनके योगदान ने भौगोलिक निश्चयवाद को आधुनिक भूगोल में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

कार्ल हाउसहॉपर (Carl Haushofer) ने भौगोलिक निश्चयवाद को और विकसित किया और इसे "भौगोलिक राजनीति" के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने माना कि भौगोलिक तत्व राष्ट्रों की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को प्रभावित करते हैं।

कार्ल हाउसहॉपर (Carl Haushofer) का भौगोलिक निश्चयवाद (Geographical Determinism) के संदर्भ में दृष्टिकोण महत्वपूर्ण और विवादास्पद था। हाउसहॉपर, जो एक प्रमुख जर्मन भूगोलवेत्ता और विचारक थे, ने अपने कामों में भौगोलिक निश्चयवाद को एक व्यापक और राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उनके विचार विशेष रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व और उसके दौरान प्रभावशाली रहे। आइए विस्तार से समझते हैं उनके मत को:

**परिचय और पृष्ठभूमि**

कार्ल हाउसहॉपर (1869-1946) एक प्रमुख जर्मन भूगोलवेत्ता और राजनीतिक विचारक थे। वे भौगोलिक निश्चयवाद के सिद्धांत के एक महत्वपूर्ण समर्थक थे और उनके विचारों ने जर्मन भौगोलिक राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

**भौगोलिक निश्चयवाद पर हाउसहॉपर का दृष्टिकोण**

हाउसहॉपर ने भौगोलिक निश्चयवाद को राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में विस्तार से समझाया। उन्होंने मान्यता दी कि भौगोलिक तत्व मानव समाजों, विशेषकर राष्ट्रों की राजनीतिक और सैन्य रणनीतियों को अत्यधिक प्रभावित करते हैं।

**मुख्य अवधारणाएँ और सिद्धांत**

जियोपोलिटिक्स

हाउसहॉपर ने "जियोपोलिटिक्स" (Geopolitics) की अवधारणा को प्रमुखता दी। उनके अनुसार, भौगोलिक तत्व जैसे कि स्थलाकृति, जलवायु, और संसाधन राष्ट्रों की शक्ति और राजनीतिक गतिविधियों को निर्धारित करते हैं। उन्होंने यह मान्यता दी कि राष्ट्रों के बीच संघर्ष और सहयोग भौगोलिक स्थितियों के आधार पर तय होते हैं।

सहजीवी क्षेत्रीयता

उन्होंने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों की विशेषताओं को सामाजिक और राजनीतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना। हाउसहॉपर ने यह तर्क किया कि भौगोलिक विशेषताएँ एक क्षेत्र की सामरिक और राजनीतिक स्थिति को आकार देती हैं।

राष्ट्रों की भौगोलिक सीमाएँ

हाउसहॉपर ने यह सुझाव दिया कि एक राष्ट्र की भौगोलिक सीमाएँ उसकी राजनीतिक और सैन्य शक्ति को प्रभावित करती हैं। उनका मानना था कि भौगोलिक बाधाएँ और संसाधनों की उपलब्धता राष्ट्रों के विकास और संघर्ष को निर्धारित करती हैं।

**प्रभाव और आलोचना**

 प्रभाव

हाउसहॉपर के विचारों ने न केवल भौगोलिक और राजनीतिक सिद्धांतों में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि वे जर्मन राष्ट्रीयता और विस्तारवादी नीतियों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बने। उनके विचारों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन विस्तारवादी नीति को प्रभावित किया।

आलोचना

हाउसहॉपर की निश्चयवादी दृष्टिकोण की आलोचना भी की गई है। आलोचकों ने यह तर्क किया कि उनका दृष्टिकोण अत्यधिक भौगोलिक और राजनीतिक था, और इसमें मानव एजेंसी, सांस्कृतिक विविधता, और ऐतिहासिक परिवर्तनों को उचित रूप से नहीं माना गया। हाउसहॉपर के विचारों को उनके राष्ट्रीयवादी और विस्तारवादी दृष्टिकोण के लिए भी आलोचना का सामना करना पड़ा।

भौगोलिक निश्चयवाद का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भ

हाउसहॉपर ने भौगोलिक निश्चयवाद को एक व्यापक और राजनीतिक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया, जो उस समय की जर्मन राजनीतिक और सांस्कृतिक धारा से मेल खाता था। उनके विचारों ने भौगोलिक और सांस्कृतिक तत्वों के बीच संबंध को एक नई दृष्टि प्रदान की, लेकिन उनके दृष्टिकोण को मानवता और सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से विवादास्पद माना गया।

5. आधुनिक दृष्टिकोण

आधुनिक भूगोल में, निश्चयवाद को व्यापक रूप से खारिज कर दिया गया है। आज के विचारक मानते हैं कि जबकि भौगोलिक और पर्यावरणीय कारक मानव समाजों पर प्रभाव डालते हैं, वे पूरी तरह से निश्चयात्मक नहीं होते। सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारकों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। 


इस प्रकार, मानव भूगोल में निश्चयवाद का जन्म और विकास विभिन्न ऐतिहासिक कालों और विचारकों के माध्यम से हुआ है, और समय के साथ इसे नए दृष्टिकोणों और विचारधाराओं के साथ संशोधित किया गया है।

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