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टॉरनेडो : चक्रवात

टॉरनेडो क्या है ? उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कैसे उत्पन्न होते हैं ? तथा उनके प्रभाव क्षेत्र कौन से हैं ? आइए चर्चा करते हैं – 

Bodhshankh



                      टॉरनेडो मूल रूप से उष्णकटिबंधीय चक्रवात ही होता है । उष्णकटिबंधीय चक्रवात पृथ्वी के अलग-अलग भागों में उत्पन्न होते हैं । जो क्षेत्रीयता के आधार पर विभिन्न नामों से जाने जाते हैं । टॉरनेडो भी एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है और अन्य सभी प्रकार के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से विनाशकारी वह विध्वंसक है । इसका प्रभाव क्षेत्र संयुक्त राज्य अमेरिका है ।

टॉरनेडो की उत्पत्ति

                   टॉरनेडो की उत्पत्ति के संदर्भ में अमेरिकी वैज्ञानिक रोसो का मत है की दो विशाल मेघ संहतियों के आकर्षण अथवा मिलने से टॉरनेडो का निर्माण होता है । इन मेघ संहतियों में एक की बूंदों पर धनात्मक एवं दूसरी मेघ संहति की बुन्दों पर ऋणात्मक आवेश होता है । समानांतर चलते हुए ये मेघ संहतियां एक दूसरे 2 किलोमीटर दूर रह जाती हैं तो इनकी गति बढकर 800 किमी प्रति घंटे हो जाती है, और इसी समय टॉरनेडो का उद्भव होता है । अब यह कहां तक सत्य है, कुछ कहा नहीं जा सकता। क्योंकि टॉरनेडो एवं उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के संबंध में विद्वानों के अलग - अलग मत है । परंतु हमें इनके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए निम्न तथ्यों को ध्यान में रखना आवश्यक है –
•    चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुई के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुई के अनुकूल घूमता है ।
•    यह चक्रवात केवल ग्रीष्म ऋतु में ही उत्पन्न होते हैं ।
•    भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में इनका कोई अस्तित्व नहीं होता ।
•    इनका निर्माण केवल गरम महासागरों के ऊपर होता है ।
•    ग्रीष्म ऋतु में इन चक्रवातों की उत्पत्ति 5° से 30° उत्तरी अक्षांश के मध्य होती है ।
•    दक्षिणी गोलार्ध में भी उष्णकटिबंधीय चक्रवात उत्पन्न होते हैं; परंतु भूमध्यरेखीय न्यून वायुदाब पेटी उत्तरी गोलार्ध में अधिक उत्तर की ओर खिसक जाती है । परंतु दक्षिणी गोलार्ध में ग्रीष्म काल के दौरान भूमध्य रेखीय न्यून वायुदाब पेटी इतनी अधिक नहीं खिसकती है जिससे अधिक बलशाली चक्रवात उत्पन्न हो सके । ऐसा स्थल व जल की आनुपातिक भिन्नता के कारण हो सकता है I
 


उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति

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                   वाताग्र सिद्धांत के समर्थकों के अनुसार अन्य चक्रवातों की भांति दो भिन्न स्वभाव वाली वायुराशियों के मिलने से बने वाताग्र से उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का निर्माण होता है । परन्तु उष्ण कटिबंध में दो भिन्न स्वभाव की वायु राशियों (ठण्डी एवं गर्म) का मिलना कठिन है । अत: यह मत अधिक माध्यम नहीं है ।
                    सर्वाधिक प्रचलित मत के अनुसार सागरीय क्षेत्रों पर अधिक तापमान के कारण से संवहन क्रिया होती है अर्थात् वायु हल्की होकर ऊपर उठने लगती है, जिससे वायुमंडलीय विक्षोभ उत्पन्न होते हैं, इन विक्षोभों से चक्रवातों का निर्माण होता है ।

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रकार

इन चक्रवातों की गति, क्षेत्र, स्वरूप एवं भौगोलिक कारकों की भिन्नता के फलस्वरूप निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं –

1. उष्णकटिबंधीय विक्षोभ :-  गति मंद, विस्तार व्यापक, एक ही स्थान पर कई  दिनों तक टिके रहते हैं ।

2. उष्णकटिबंधीय अवदाब :- यह एक लघु चक्रवात होता है । जिसमें 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे के वेग से पवनें चलती हैं । इसकी गति एवं दिशा अनियमित होती है । भारत में बंगाल की खाड़ी उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी चीन व जापान में भी इस प्रकार के चक्रवात देखने को मिलते हैं ।

3. हरिकेन :-हरिकेन का जन्म पश्चिमी दीप समूह के समीप कैरीबियन सागर में होता है । इन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में हरिकेन कहा जाता है । ये 5° से 20° अक्षांश के मध्य पश्चिमी अटलांटिक महासागर में उत्पन्न होकर मेक्सिको की खाड़ी, फ्लोरिडा व 30° उत्तरी अक्षांश के समीप संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के पूर्वी तट को प्रभावित करते हैं ।

4. टाइफून :- ये हरिकेन जैसे ही होते हैं । इनकी उत्पत्ति मार्शल द्वीप समूह फिलीपिंस, ताइवान, दक्षिणी होंशु तथा दक्षिणी चीन सागर में होती है । यह जुलाई से अक्टूबर के मध्य उत्पन्न होते हैं । इनका वेग 120 किलोमीटर प्रति घंटे तक होता है । 

5. टॉरनेडो :- यह आकार में लघुतम किंतु प्रभाव में सबसे अधिक विनाशकारी होते हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका में इन्हें ट्विस्टर कहा जाता है । मिसिसिपी बेसिन में इनकी उत्पत्ति बसंत और ग्रीष्म ऋतु के शुरुआती दिनों में होती है । यह संयुक्त राज्य अमेरिका के ग्रेट मैदान को अधिक प्रभावित करते हैं ।

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