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भारत का विशाल मैदान

भारत का विशाल मैदान हिमालय व प्रायद्वीपीय पठार के मध्य अवस्थित है । भारत विभाजन के पहले इसे गंगा –  सिन्धु मैदान के नाम से जाना जाता था । परन्तु भारत विभाजन के पश्चात सिन्धु व उसकी सहायक नदियों का मैदानी क्षेत्र पाकिस्तान में चले गए । अतः अब भारत के मैदानी भाग को 'सतलज – गंगा  ब्रह्मपुत्र ‘ का मैदान कहा जाता है ।

भारत का विशाल मैदान


उत्पत्ति

भारत के विशाल मैदान की उत्पत्ति हिमालय एवं प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली असंख्य नदियों द्वारा जमा की गई जलोढ मिट्टी के जमाव से हुई है । इसमें हिमालय की नित्यवाही नदियों का योगदान अधिक है । अतः भारत के इस विशाल मैदान को ‘हिमालय का उपहार' कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है ।

स्थिति एवं विस्तार

भारत में इस विशाल मैदान का विस्तार उत्तर में हिमालयदक्षिण में प्रायद्वीपीय पठारपश्चिम में पाकिस्तान एवं पूर्व में बंगाल की खाड़ी व पूर्वी पहाड़ियों के मध्य क्षेत्र में लगभग 2400 किलोमीटर लंबाई व 150 से 480 किलोमीटर की चौड़ाई में है । इसका कुल क्षेत्रफल लगभग सात लाख वर्ग किलोमीटर है । प्रादेशिक दृष्टि से उत्तरी राजस्थानपंजाबहरियाणाउत्तराखंड (आंशिक)उत्तर प्रदेशबिहारझारखंड (आंशिक)पश्चिमी बंगाल एवं असम में इसका विस्तार है ।

विशाल मैदान का भौतिक वर्गीकरण

भारत के विशाल मैदान को भौतिक दृष्टि से निम्न उल्लेखित चार भागों में बांटा जाता है 

1.  1. भाबर प्रदेश - हिमालय से निकलने वाली असंख्य नदियां अपने जल के साथ छोटे बड़े कंकड़, पत्थर एवं बजरी साथ लेकर आती हैं और गिरिपदीय क्षेत्र में जमा कर देती हैंजिससे यहां की शैले पारगम्य हो गई है । यहां नदियां भूमिगत होकर अदृश्य हो जाती है । इसी क्षेत्र को ‘भाबर’ कहा जाता है । यह भाबर प्रदेश सिन्धु नदी से तिस्ता नदी तक 8 से 16 किलोमीटर चौड़ी संकरी पट्टी में विस्तृत है ।

2.    2.   तराई प्रदेश  यह प्रदेश भाबर प्रदेश के दक्षिण में 15 से 30 किलोमीटर की लंबाई में विस्तृत है । इस प्रदेश में  भाबर प्रदेश की लुप्त नदियां पुनः धरातल पर प्रकट हो जाती हैं । यह एक दलदली क्षेत्र है । अधिक नमी एवं दलदल के कारण यहां घने वन तथा विभिन्न प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं । अब इसे साफ कर कृषि योग्य बनाया जा रहा है ।

3.   3. बांगर प्रदेश  यह नदियों द्वारा निर्मित प्राचीन जलोढ मिट्टी के वे ऊंचे मैदान है जहां वर्तमान में नदियों की बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता है । बांगर में चुने के निक्षेप पाये जाते हैंजिन्हें ‘कंकड़’ कहा जाता है । बांगर प्रदेश का सर्वाधिक विस्तार उत्तर प्रदेश में है । सतलज एवं गंगा के ऊपरी मैदानी इलाकों में ये विशेष रूप से देखे जा सकते हैं ।

4.    4. खादर प्रदेश  विशाल मैदान के वे भाग जहां बाढ़ का पानी लगभग प्रतिवर्ष पहुंच जाता है जिससे नयी जलोढ मिट्टी का जमाव होता है, ‘खादर’ कहलाता है । खादर प्रदेश का सर्वाधिक विस्तार बिहार एवं पश्चिम बंगाल में है ।

विशाल मैदान का प्रादेशिक वर्गीकरण

भारत के विशाल मैदान को प्रादेशिक आधार पर निम्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता है 

1.  1. राजस्थान का मैदान  यह अरावली पर्वतमाला के पश्चिमी भाग में भारत – पाकिस्तान की सीमा तक लगभग 1.75 लाख वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है । यह उत्तर – पूर्व से दक्षिण – पश्चिम दिशा में लगभग 640 किलोमीटर लंबा है । पहले यहां टैथिज सागर का विस्तार था तथा बाद में यहां सरस्वती नदी अपनी सहायक नदियों के साथ बहती थी । यह एक उपजाऊ मैदान था । कालान्तर में सरस्वती नदी विलुप्त हो गयी एवं यहां मरूस्थलीय परिस्थितियां पैदा हो गई ।

भारत का विशाल मैदान


2.  2. पंजाब – हरियाणा का मैदान  सतलज, व्यास, रावी, चिनाब एवं झेलम इन पांच आब अर्थात पांच नदियों से निर्मित मैदान को पंजाब एवं हरियाणा का मैदान कहा जाता है । इस मैदान में नदियों के अपरदन से बने गड्ढे स्थानीय भाषा में ‘चो’ कहलाते हैं ।

3. 3. गंगा का मैदान  गंगा का मैदान उत्तर प्रदेशबिहार एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में विस्तृत है इस सम्पूर्ण मैदान का ढाल पूर्व तथा दक्षिण – पूर्व की ओर है । इसे निम्न तीन भागों में बांटा जाता है 

(अ)   उपरी गंगा का मैदान (आ)  मध्य गंगा का मैदान (इ)    निम्न गंगा का मैदान ।

4. ब्रह्मपुत्र का मैदान  यह मैदान असम राज्य में होने के कारण इसे ‘असम का मैदान' तथा ब्रह्मपुत्र नदी के कारण इसे ब्रह्मपुत्र की घाटी भी कहा जाता है ।यह मैदान पहाड़ियों से घिरा हुआ है । इसके उत्तर में हिमालय, दक्षिण में गारो, खासी, जयन्तिया की पहाड़ियां, पूर्व पटकोई बुम व नागा पहाड़ियां हैं । इसी मैदान में ‘माजुली’  विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है । सुंदर वन डेल्टा ब्रह्मपुत्र व गंगा नदी को मिला कर बना है जो विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है । इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 56000 वर्ग किलोमीटर है । 

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