जयपुर अपने ऐतिहासिक व रमणीक स्थलों के लिए सदैव पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है । यहां देश-विदेश के पर्यटक रोमांच के लिए आते रहते हैं । यहां के कई स्थल ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है । जयपुर राजस्थान राज्य की राजधानी है, परंतु यह ‘पूर्व का पेरिस' तथा 'गुलाबी नगरी (पिंक सिटी) के नाम से विख्यात है । जयपुर की स्थापना कछवाहा नरेश सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 18 नवंबर, 1727 ईस्वी में की गई । जयपुर नगर के वास्तुकार श्री विद्याधर भट्टाचार्य थे । 1876 ईसवी में प्रिंस अल्बर्ट (वेल्स) के आगमन के उपलक्ष्य में महाराजा रामसिंह द्वितीय द्वारा जयपुर नगर को गुलाबी रंग में पुतवाने का कार्य करवाया गया था । तभी से इसे ‘गुलाबी नगर' व 'पिंक सिटी' कहा जाता है ।
स्थिति एवं विस्तार
ग्लोब पर 26° 91’ उत्तरी अक्षांश एवं 75° 78’ पूर्वी देशांतर पर जयपुर महानगर अवस्थित है । जयपुर महानगर पूर्व से पश्चिम लगभग 180 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण 110 किलोमीटर में फैला हुआ है । इस प्रकार यह लगभग 484.6 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में विस्तृत है । मुख्य शहर चारों ओर परकोटे से घिरा हुआ है । जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे बनाये गये थे, बाद में एक दरवाजा ‘न्यू गेट’ और बनाया गया है । मुख्य शहर की सड़कें लगभग 111 फीट (34 मीटर) चौड़ी हैं ।
मुख्य पर्यटन स्थल
जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली, आगरा और जयपुर आते हैं । भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति को देखने पर यह एक त्रिभुज का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का ‘स्वर्णिम त्रिभुज' कहते हैं। मुख्य पर्यटन स्थल निम्नानुसार हैं -
1.हवामहल – इस पांच मंजिला इमारत का निर्माण 1799 ई. में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था । यह महल शाही महारानियों के लिए बनवाया गया था, जिससे वे शहर के उत्सवों, त्योंहारों व हलचलों के दीदार कर सकें । इस अदम्य खुबसूरत महल को हिन्दू, राजपूत एवं इस्लामिक वास्तुकला से निर्मित किया गया है । जिसमें 953 झरोखे है । झरोखों से ताजी हवा का आनंद लिया जा सकता है ।
2.सिटी पैलेस – यह पैलेस परम्परागत राजस्थानी एवं मुगल शैली में बनाया गया है । यह शहर के परकोटे के अंदर बनाया गया है, इसमें प्रवेश का मार्ग त्रिपोलिया गेट है । इसमें मुबारक महल, दीवान – ए – खास एवं दीवान – ए – आम है ।
3.जंतर-मंतर – इसका निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह ने 1718 ई. में जयपुर शहर की स्थापना से पहले ही करवाया था । यह एक वेधशाला है जिसके द्वारा समय की जानकारी, सूर्योदय, सूर्यास्त तथा नक्षत्रों की जानकारी प्राप्त करने के लिए बनवाया गया था । भारत की सबसे पहली वेधशाला दिल्ली में बनाईं गई थी । इसके बाद उज्जैन, बनारस तथा मथुरा में बनाईं गई । जयपुर की जंतर-मंतर वेधशाला सबसे बड़ी एवं प्रसिद्ध है ।
4.जयगढ़ दुर्ग – इस दुर्ग का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने 1667 ई. में करवाया गया था । इस दुर्ग प्राचीन हथियारों का संकलन है । तात्कालिक समय में युद्ध के समय जो तोप काम में ली जाती थी । वे अब भी सही स्थिति में देखी जा सकती है । इस दुर्ग का निर्माण आमेर दुर्ग व महल की सुरक्षा हेतु उनके निकट ही करवाया गया था ।
5.नाहरगढ – नाहरगढ़ किले प्रारम्भ में निर्माण 1734 ई. में सवाई जयसिंह ने करवाया था । परन्तु बाद में इसका वर्तमान स्वरूप सवाई रामसिंह ने 1868 ई. में दिया था । इसके अंदर सवाई माधोसिंह द्वितीय ने अपनी नौ पासवान रानियों के नाम पर एक जैसे नौ महलों का निर्माण करवाया था । नाहरगढ की तलहटी में गैटोर की छतरियां सफेद संगमरमर से निर्मित है । ये सभी छतरियां सवाई जयसिंह से सवाई माधोसिंह तक के शासकों की है ।
6. आमेर का किला – इस दुर्ग का प्रारम्भिक निर्माण राव भारमल द्वारा व बाद में मानसिंह व मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा करवाया गया था । ये राजपूत शैली के विख्यात महल है । जिनमें हिन्दू तथा पारसी शैली का मिश्रण है । महल के मुख्य द्वार के बाहर शिला माता का मंदिर बना हुआ है । दुर्ग में प्रवेश करते ही 20 खम्भों पर दीवान – ए – आम बना हुआ है, जो सफेद संगमरमर से निर्मित है ।
7. जल महल – मानसागर झील के मध्य स्थित इस महल का निर्माण 1799 ई. में सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था । कहा जाता है कि सवाई प्रताप सिंह अश्वमेध यज्ञ के बाद अपनी रानियों और पंडित के साथ स्नान के लिए इसका करवाया था। इस महल के निर्माण से पहले प्रताप सिंह ने जयपुर की जलापूर्ति हेतु गर्भावती नदी पर बांध बनवाकर मानसागर झील का निर्माण करवाया था ।
उपरोक्त स्थलों के अतिरिक्त जयपुर अनेकों ऐसे स्थान हैं जो पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं । जिनमें गलता, रामनिवास बाग, जयनिवास उद्यान, ईशरलाट, लक्ष्मीनारायण मंदिर, गोविन्द देवजी मंदिर, बिहारी मंदिर, जगत शिरोमणी मंदिर आदि ।
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