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मानव भूगोल की प्रमुख विचारधाराऐं

नमस्कार दोस्तों ! आज चर्चा करते हैं मानव भूगोल की प्रमुख विचारधाराओं की जिसके परिणामस्वरूप ही मानव भूगोल विभिन्न शाखाओं में विभाजित हुआ है -

मानव भूगोल की प्रमुख विचारधाराऐं


मानव भूगोल (Human Geography) एक ऐसा क्षेत्र है जो मानव गतिविधियों और उनके भौगोलिक वातावरण के बीच संबंधों का अध्ययन करता है। इसमें मुख्य रूप से मानव समाजों की भौगोलिक विशेषताओं, सांस्कृतिक दृष्टिकोण, और सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण किया जाता है। मानव भूगोल की प्रमुख विचारधाराओं का विस्तार से वर्णन निम्नलिखित है:

1. परिस्थितिकीय दृष्टिकोण (Environmental Determinism)

सिद्धांत: इस विचारधारा के अनुसार, प्राकृतिक पर्यावरण (जैसे जलवायु, भू-आकृतिक विशेषताएँ) मानव समाजों के विकास और व्यवहार को निर्धारित करते हैं। इसका मानना है कि पर्यावरणीय परिस्थितियाँ मानव गतिविधियों और सामाजिक संरचनाओं को प्रभावित करती हैं और समाजों के विकास की दिशा तय करती हैं।

प्रमुख विचारक: फ्रेडरिक रेट्जेल, और गेरार्ड ड्यूमेज़िल।

आलोचना: इस दृष्टिकोण को आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि यह मानता है कि पर्यावरण केवल बाहरी कारक होता है और मानवों की सामाजिक और सांस्कृतिक रचनात्मकता की भूमिका को कम करता है। इसके बजाय, मानवों की स्वायत्तता और पर्यावरणीय सीमाओं से पार पाने की क्षमता को नजरअंदाज करता है।

2. भौतिकीय दृष्टिकोण (Possibilism)

सिद्धांत: इस विचारधारा के अनुसार, पर्यावरण कुछ संभावनाएँ प्रस्तुत करता है, लेकिन अंततः मानव समाज अपनी स्थितियों के अनुसार विभिन्न विकल्प चुन सकता है। इसका मानना है कि जबकि प्राकृतिक कारक प्रभावित करते हैं, मनुष्य अपनी संस्कृति, तकनीक, और सामाजिक व्यवस्थाओं के माध्यम से पर्यावरण की सीमाओं को पार कर सकता है।

प्रमुख विचारक: रोजर बेकन और पियरे डुवैल।

आलोचना: यह दृष्टिकोण पर्यावरणीय सीमाओं की भूमिका को मान्यता देता है, लेकिन यह भी मानता है कि मानव इन सीमाओं को अपने नवाचारों और सांस्कृतिक विकास के माध्यम से पार कर सकता है। यह दृष्टिकोण मानवों की रचनात्मकता और विविधता को मान्यता देता है।

3. सांस्कृतिक परिदृश्य (Cultural Landscape)

सिद्धांत: सांस्कृतिक परिदृश्य का सिद्धांत यह मानता है कि मानव गतिविधियाँ भौगोलिक परिदृश्य को आकार देती हैं और इसे सांस्कृतिक अर्थों और प्रतीकों से भर देती हैं। इस दृष्टिकोण के अनुसार, प्रत्येक स्थान की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान उसकी भौगोलिक विशेषताओं, मानव निर्मित तत्वों, और सांस्कृतिक परंपराओं द्वारा निर्मित होती है।

प्रमुख विचारक: कार्ल सौयर।

आलोचना: यह दृष्टिकोण मानता है कि सांस्कृतिक गतिविधियाँ और भौगोलिक विशेषताएँ एक दूसरे को प्रभावित करती हैं। हालांकि, आलोचना की जाती है कि यह विचारधारा केवल सांस्कृतिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है और भौगोलिक प्रक्रियाओं की वस्तुनिष्ठता को कम करती है।

4. सामाजिक निर्मितता (Social Constructionism)

सिद्धांत: इस दृष्टिकोण के अनुसार, भौगोलिक और सामाजिक यथार्थ केवल भौगोलिक तत्वों द्वारा नहीं बल्कि समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक धारणाओं द्वारा भी निर्मित होते हैं। इसका मतलब है कि भौगोलिक स्थानों और सामाजिक असमानताएँ समाज की सांस्कृतिक प्रक्रियाओं और मान्यताओं का परिणाम हैं।

प्रमुख विचारक: पीटर हेस, और डेविड हारवे।

आलोचना: यह दृष्टिकोण यह मानता है कि भौगोलिक यथार्थ केवल सामाजिक रचनाओं का परिणाम है, और इस प्रकार प्राकृतिक तत्वों की भूमिका को कम करता है।

5. संबंधात्मक दृष्टिकोण (Relational Approach)

सिद्धांत: इस दृष्टिकोण के अनुसार, भौगोलिक घटनाएँ और प्रक्रियाएँ विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक कारकों के बीच परस्पर संबंधों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं। यह दृष्टिकोण स्थानों और प्रक्रियाओं को सामाजिक संदर्भ में समझने पर जोर देता है और भौगोलिक तत्वों की जटिलता को मान्यता देता है।

प्रमुख विचारक: डेविड हारवे और हेलेन मैककॉर्न।

आलोचना: यह दृष्टिकोण जटिल सामाजिक संबंधों को समझने के लिए उपयुक्त है, लेकिन इसकी जटिलता के कारण विश्लेषण में कठिनाइयाँ हो सकती हैं।

6. गणविज्ञान और सूचनात्मक दृष्टिकोण (Critical Geography and GIS)

सिद्धांत: गणविज्ञान और सूचनात्मक दृष्टिकोण आधुनिक तकनीकी दृष्टिकोणों का उपयोग करता है जैसे जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम्स (GIS) और अन्य सूचना प्रौद्योगिकियाँ। इसका उद्देश्य भौगोलिक डेटा को संग्रहित, विश्लेषित, और प्रस्तुत करना है, जिससे सामाजिक असमानताओं, पर्यावरणीय समस्याओं, और अन्य भूगोलिक मुद्दों का विश्लेषण किया जा सके।

प्रमुख विचारक: डेविड हारवे और एन्ना टिफ़िन।

आलोचना: आधुनिक तकनीकी दृष्टिकोणों की प्रक्रिया जटिल हो सकती है और इसका उपयोग अधिक तकनीकी और विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता हो सकती है, जो सभी क्षेत्रों में सुलभ नहीं हो सकता।

इन प्रमुख विचारधाराओं के माध्यम से मानव भूगोल के विभिन्न पहलुओं को समझा जा सकता है और यह देखा जा सकता है कि कैसे विभिन्न दृष्टिकोण मानव समाजों और उनके भौगोलिक संदर्भों को समझने में योगदान करते हैं।

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