नमस्कार दोस्तों ! आज हम हिमालय की चर्चा करेंगे । हिमालय के बारे में कुछ सामान्य जानकारी पहले पढ़ चुके हैं । तो चलिए आज हिमालय के बारे में और अधिक जानते हैं –
हिमालय की उत्पत्ति
हिमालय पर्वत विश्व की नवीनतम वलित पर्वतमाला का उदाहरण है । इसकी उत्पत्ति लगभग सात करोड़ वर्ष पहले ‘'पूर्व मध्यजीवी महाकल्प में हुई मानी गई है । तात्कालिक समय हिमालय के स्थान पर ‘टेथीस सागर' नामक भू – अभिनति हुआ करती थी । इस भू – अभिनति के उत्तरी भाग में अंगारालैण्ड व दक्षिण भाग में गौंडवानालैण्ड नामक स्थलीय भाग थे । मध्यजीवी महाकल्प के अंत में भू – गर्भिक हलचलों के कारण उपर्युक्त दोनों भूखण्ड एक-दूसरे के निकट आने लगे जिसके कारण टेथिस सागर की तलछट में सम्पीडन बल उत्पन्न होने लगा तथा धीरे-धीरे तलछट में वलयाकार मोड़ पड़ कर वर्तमान हिमालय निर्मित हुआ ।
स्थिति
हिमालय पर्वत अफगानिस्तान के बलूचिस्तान से म्यांमार के अराकान योमा तक लगभग 2400 किलोमीटर में तलवार की आकृति में फैला हुआ है । इसकी 240 से 320 किलोमीटर चौड़ाई है तथा लगभग पांच लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तार है । यह भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित है ।
हिमालय का प्राकृतिक विभाजन
प्राकृतिक रूप से हिमालय को निम्न चार पर्वत श्रेणियों में विभक्त किया जाता है –
1. महान् हिमालय
2. लघु हिमालय
3. शिवालिक हिमालय या उप हिमालय
4. ट्रांस हिमालय या तिब्बत हिमालय ।
2. 2. लघु हिमालय – यह पर्वत श्रृंखला महान् हिमालय से महान भ्रंश रेखा द्वारा पृथक होती है । यह शिवालिक तथा महान हिमालय के मध्य होने के कारण इसे ' मध्य हिमालय' भी कहा जाता है । इसकी औसत ऊंचाई 4500 मीटर तथा चौड़ाई 80 से 100 किलोमीटर तक है । यह केवल शीतकाल में ही हिमाच्छादित रहता है । नैनीताल, मंसूरी, चकराता, शिमला, रानीखेत, अल्मोड़ा, दार्जिलिंग इत्यादि स्वास्थ्यवर्धक स्थल यहीं स्थित हैं । धौलाधार, नागटिब्बा, पीर पंजाल, आदि इस क्षेत्र की प्रमुख चोटियां हैं । यहां कई प्रकार नुकीली पत्ती व मुलायम लकड़ी के कोणधारी वन है जिनमें चीड़, देवदार, स्प्रुस, फर, युनिफर आदि वृक्ष पाये जाते हैं जो कागज़ व फर्नीचर निर्माण में उपयोगी हैं । लघु हिमालय के ढालों पर घास के मैदान पाये जाते हैं जिन्हें कश्मीर में ‘मर्ग’ (सोनमर्ग तथा गुलमर्ग) एवं उत्तराखंड में ‘बुग्यार या बयार' कहते हैं ।
4. 4. ट्रांस हिमालय या तिब्बत हिमालय - यह हिमालय का सबसे उत्तरी भाग है । इसकी औसत ऊंचाई 3100 मीटर, चौड़ाई मध्य में 225 किलोमीटर तथा किनारों पर 40 किलोमीटर है । ट्रांस हिमालय की लंबाई 965 किलोमीटर है । इसके अंतर्गत काराकोरम, कैलाश, जास्कर एवं लद्दाख पर्वत श्रेणियां हैं । काराकोरम पामीर ग्रंथि का विस्तार है । सियाचिन, बाल्टोरो, बियाफो व हिस्पार आदि हिमनद इसी पर्वत श्रृंखला में हैं ।
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